आज जो कुछ भी देश में हो रहा,
ये तो हठ प्रतियोगिता है,
और क्या किसी आन्दोलन के सामने,
किसी शाशक ने जंग जीता है?
एक दिन एक लाठी चार्ज, और फिर आंसू गैस,
ये तो बर्बरता की निशानी है,
हमारा लक्ष्य कुछ और नहीं,
देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलानी है,
ये सब ऐसे मुद्दे हैं,
जो जन हीत में उठाये जाते हैं,
और जब सरकार निरंकुश हो जाये,
तो बुद्धिमान अपना प्राण नहीं गवांते हैं,
आन्दोलनकारियों के प्राण चले जायें,
यही तो सरकार की चाल है,
अनशन तोडना जरूरी था,
क्योंकि देश का बहुत बुरा हाल है,
संत सन्यासी, भिन्न भिन्न पार्टी,
सब हैं आन्दोलन के साथ में,
हमें तो मानव श्रृंखला है बनानी,
जिसमे सबका हाथ हो एक दुसरे के हाथ में,
ऐसा नहीं की देश का बुरा हाल,
केवल वर्तमान शासन का परिणाम है,
इसमें तो ६४ साल के सभी शासक ने,
दिया अपना अपना योगदान है,
अतः, मेरी शासन से विनती है,
कि, हठ का धर्मं छोड़ो,
मानवता से नाता जोड़ो,
फिर एक ऐसा कानून बन जाए,
जिससे भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए,
देश से दूर गया धन वापस हो,
और कला नहीं, सफेद धन पर्याप्त हो जाए.
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